Wednesday, 15 June 2016

कविता ’इतने ऊँचे उठो’ का सप्रसंग भावार्थ

इतने ऊँचे उठो कि जितना उठा गगन है।
देखो इस सारी दुनिया को एक दृष्टि से
सिंचित करो धरा, समता की भाव वृष्टि से
जाति भेद की, धर्म-वेश की
काले गोरे रंग-द्वेष की
ज्वालाओं से जलते जग में
इतने शीतल बहो कि जितना मलय पवन है॥
प्रसंग: प्रस्तुत पद्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक ________ से ली गई हैं । इस कविता का शीर्षक ’इतने ऊँचे उठो’ है। इस कविता के कवि ’श्री द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी’ है।
संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियों में, सभी भेदभावों से ऊपर उठकर समाज में समानता का भाव जगाने की बात कही गई है।
अर्थ: प्रस्तुत पद्य पंक्तियों में कवि कहते हैं कि हमें नए समाज निर्माण में अपनी नई सोच को जाति, धर्म, रंग-द्वेष  आदि जैसे भेदभावों से ऊपर उठकर सभी को समानता की दृष्टि से देखना चाहिये। जिस प्रकार वर्षा सभी के ऊपर समान रूप से होती है उसी प्रकार हमें भी सभी के साथ समान रूप से पेश आना चाहिए। हमें नफरत की आग को समाप्त कर समाज में मलय पर्वत से आने वाली हवा की तरह शीतलता और शांति लाने का प्रयत्न करना चाहिए।  

नये हाथ से, वर्तमान का रूप सँवारो
नयी तूलिका से चित्रों के रंग उभारो
नये राग को नूतन स्वर दो
भाषा को नूतन अक्षर दो
युग की नयी मूर्ति-रचना में
इतने मौलिक बनो कि जितना स्वयं सृजन है॥
अर्थ: इन पंक्तियों में कवि कहते हैं कि नए समाज के निर्माण में हमें आगे बढ़कर अपनी कल्पनाओं को आकार देकर उन्हे वास्तविक जीवन में लाने का प्रयत्न करना चाहिए। जिसप्रकार कोई कलाकार अपनी कूँची से अपने चित्रों में रंग भरता है, और जिसप्रकार संगीतकार अपने नए राग में स्वरों को पिरोता है, उसी प्रकार हमें भी अपने समाज को नया रूप देने के लिए सृजनात्मक बनना होगा। और सृजन को हमें अपने अंदर मौलिक रूप से ग्रहण करना होगा।

लो अतीत से उतना ही जितना पोषक है
जीर्ण-शीर्ण का मोह मृत्यु का ही द्योतक है
तोड़ो बन्धन, रुके चिंतन
गति, जीवन का सत्य चिरन्तन
धारा के शाश्वत प्रवाह में
इतने गतिमय बनो कि जितना परिवर्तन है।
अर्थ: कवि कहते हैं कि हमे अपने अतीत में हुई बुरी घटनाओं को छोड़कर केवल अच्छी बातों को ग्रहण करना चाहिए, क्योंकि ये अच्छी यादे या घटनाएँ ही हमारे भविष्य निर्माण में हमारे काम आएँगी जबकि बुरी घटनाएँ हमें सदैव पीछे की ओर ही खींचेंगी, इनसे हमारा विकास अवरुद्ध होगा। कवि कहते हैं कि जिसतरह परिवर्तन सदैव होता रहता है उसी प्रकार हमें भी सभी बंधनों को तोड़कर हमेशा आगे बढ़ते रहना चाहिए। क्योंकि आगे बढ़ना ही जीवन है।

चाह रहे हम इस धरती को स्वर्ग बनाना
अगर कहीं हो स्वर्ग, उसे धरती पर लाना
सूरज, चाँद, चाँदनी, तारे
सब हैं प्रतिपल साथ हमारे
दो कुरूप को रूप सलोना
इतने सुन्दर बनो कि जितना आकर्षण है॥

अर्थ: कवि कहते हैं कि यदि हम धरती को स्वर्ग की तरह सुंदर बनाना चाहते हैं तो हमें  अपनी कल्पनाओं को मूर्त रूप देते हुए (साकार करते हुए) अच्छाइयों को लेकर आगे बढ़ना चाहियो और हम अपने समाज को  सभीबुराइयों से ऊपर उठाकर एक खूबसूरत समाज की रचना कर सकते हैं कवि कहते हैं कि हमें अपनी सोच और भावनाएँ सदैव अच्छी रखनी चाहिए जिससे एक सुंदर समाज की रचना होगी और वह समाज सदैव विकास की ओर बढ़ता रहेगा। जिसप्रकार हम किसी आकर्षण की ओर खिंचे चले जाते है उसी प्रकार अच्छी सोच के साथ हमें खुद को भी आकर्षक बनाना है

123 comments:

  1. इतनी अक्छी पंक्तिया इस बात को सिद्ध करती है की आप अध्ययन की भट्टी से निकल एक परपक्व लेखिका है।

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  2. इतनी अक्छी पंक्तिया इस बात को सिद्ध करती है की आप अध्ययन की भट्टी से निकल एक परपक्व लेखिका है।

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    1. Xxx I love you Rachana

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    2. Very helpful. Thank you for giving parawise explanation.

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    3. महोदय, यह रचना आदरणीय श्री द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी जी की है http://kavitakosh.org

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  3. School ke din yaad aa gai.. :-)

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  4. School ke din yaad aa gai.. :-)

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    1. Mai to school me he hu

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    2. To achhe se padhna beta
      Mobile zada mat chalana



















      Regards
      Your enemy

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    3. To Mai kya Karu be sale whatsapp pe kaise karke apni girlfriend ok manaya ab used milna chahata hu Mai to chahta hu school Khul jaye par na bhi khile to na kar mar be hat

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  5. The meaning are absolutely correct

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  6. बहुत ही सुंदर तरीके से आप ने भाव को भावार्थ में परिपक्व किया है ये आप के परिपक्वता की निशानी है प्रणाम ,,,,मेरी तरफ से आप के लिए
    अवसर
    ---------
    उन तमाम धूमिल पन्नो की बात
    जिसपे जो मर्जी आयी लिखता गया
    बिना परवाह ,उतनी समझ ही कहा थी
    जैसे खेल खेल में ,और भरता गया
    जैसे जैसे समझ आयी उनको मिटाता गया
    जो मिेटे नही उनको शूल सा निभाता गया
    मेरी किताब का बहुत सारा पन्ना खाली रह गया
    पर उस किताब को फिर से लिखना चाहता हु
    नए सिरे से ........
    बस किसी बारिस का इंतजार है
    जिसमे रख दु खोल किताब (जिंदगी) को
    ताकी धूल जाए स्याही उन तमाम पन्नो के
    जो भरे हुए है .....
    मेरे बिस्माध की काली लेखिनी से
    फिर लिख सकू
    अपने अधियाले जी मे बसे उजाले को
    लिख सकू एक नए देव को

    #देव पाण्डेय

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  7. Thanks ujjal

    It's very helpful.
    Absolutely correct meaning with bahut hi khubsurat lines.






    Very very thanks

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    1. Sansar kis jvala mein jal Raha hai

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    2. Sansar kale-gore , Rand dwesh ki jawala mein jal RHA hai

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  8. Thank mujhe poem ka meaning samjhane ke liye....realy helped my daughter

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    1. It’s pleasure for a teacher to help children

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    2. Could u pls tell the summary pls

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  9. Samaj me perivartan kesa ayaga

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  10. Bahut mast h exam me a ha max aya bhaibya ben

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    1. aap log ke kaam ka nhi hai to padhte kyu hai jinke kaam ka hai unke liye kaam aa rha hai. You re just playing with your life its so useful for the student.

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  12. Kavi kis prakar moulik banana korean kahata hai

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    1. maulik roop se matalab vastavik roop se sach aur rachanatmak bane na ki kisi ki nakal me yaa swarth me ...... it is my interpretation can be different for you and the poet himself.
      Thank you

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  13. Kavita mein uchcha uthane ka aashay kya hai

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  14. Last stanza main kis chaah ki baat Kar rahe hai

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  15. Is dharati ko apne sapno ke swarg jaisa banane ki chah hai jahan sab saman hain koi bhed bhav, irshya adi nahi hain...

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  16. It is very nice .you helped me a lot .THANKS 😀😀😀😀😀

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  17. First para ka to sandarbh likh diya lekin Baki ka nhi likha h apne 🙁😑

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    1. From bhavarth u can make out sandarbh.... try

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  18. Kavi at it se kis poshak no lene ki bat
    Kar rahe he

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    1. Kavi attit se us poshak ko lene k liye keh rahe h jo hamari sabhyata or sanskriti se juda ho tatha hamari pragati me sahayak ho

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    2. thanks for telling 😊😊😊

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  19. Is kavita me ham kiske liye aaya h?

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  20. Sub saath hai pratipl hamare ka kya meaning hota hai

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  21. Sub hai pratipl Saath hamare ka kya meaning hota hai

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    1. It means ki Suraj Chand Aur taare hamare Saath har time rahte he

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  22. Looking hot Priya Tripathi

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  23. Looking hot Priya Tripathi

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  24. Sir question ka answer ja gase

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  25. Hame iss kavita se kya-kya sikhne ki prerna milti hai

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    1. samaanta ka bhaav, maulik (original)rahate hue rachanatmak rahana aur sadaiv gatimay bane rahana

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  26. 'Yug ki naii murti-rachna me'-iss pankti me kis yug ki baat ki jaa rhi hai ?

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    1. aapake vartamaan kee baat ho rahi hai. hame itana karmatha hona hai ki ham is dharati ko apane Kalpana ke svarg kee Tarah bana sake.

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  27. Vhedbhav dur ho jane par jivan kaisa ho jaega ?

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  28. Pehle pad me kavi kis prakar ke bhedvhav ko dur karne kibaat kah rha hai ?

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    1. hamaare samaj me bahut se bhedbhav hai, jaise jaati, dharm sampradaya, ameer,gareeb, kshetra,bhasha ityadi. jinase ooper uthakar hame samaanta laani chahiye.

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  29. Please give me answer my hindi teacher mam sachi told to do please i request to give me all the answers very fast the time is up to tommorrow only please

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  30. Please give me answer my hindi teacher mam sachi told to do please i request to give me all the answers very fast the time is up to tommorrow only please

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  31. Gagan ke samaan ucha uthane keliye kya karna hoga

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  32. Replies
    1. malay parvat ka matlab himalaya parvat

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  33. कदम्ब का पेड़ कविता का भावार्थ बतावें

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  34. इसमे सन्दर्भ को प्रसंग लिखा गया है और प्रसंग को सन्दर्भ लिखा है jo ki गलत है admin महोदय is पर ध्यान दे plz

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  35. अत्यंत भावपूर्ण व्याख्या के लिए कोटिशः धन्यवाद।

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  36. 🙏🙏😄😘😍🙄😭😊

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  37. Thanks so much for these bhavart it really helped me😊

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  38. 🙏🏻🙏🏻🙏🏻😊😍👍🏼👍🏼

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  39. Thanku , it was very helpful 🙏🙏

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  40. What's this can't understand......

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  41. Thanks it's helpful ok!!,🥴😊🥴😊

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  42. Replies
    1. Bolne se phle soch liya kre aap bol kya rhe 🙏

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    2. sach keh reh hai aap ye bolne se pehle sochte nhi hai ki kya bol rhe hai

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  43. Then u r duffer....
    So easy....
    Very helpful to me and many of my friends...

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  44. THANKKKKKKKKKKKKKKKKKKKKKKKKKKKK YOUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUU VERYYYYYYYYYYYYYYYYYYY MUCHHHHHHHHHHHHHHHHHHHHHHHHHHHH

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    1. Its a pleasure for a teacher to facilitate the learning and you are a learner.. thank you.

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  45. Thank you this is very helpful for icse syllabus.

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  46. really helped me
    thanks you

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  47. कवि ने हमें ब्रश क्यों कहा है ?

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  48. It help me a lot of understanding this poem

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  49. It really helped for my oral exam thanks a lot. those people who say that this poem is not useful they are really going to regret for saying this...

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  50. Thanks mer exam me madad hogayi

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  51. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 28 मई 2022 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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