Wednesday 21 September 2022

कविता- हिन्दी तुम आयुष्‍मती रहना

 हिन्दी तुम आयुष्मती रहना


समय के उत्तर चढ़ाव में 

अविरल बहना,

हिन्दी तुम आयुष्‍मती रहना।


परतंत्रता का वज्र जो तुम पर गिरा है,

अंग्रेज़ी का तुम पर जैसे ग्रहण सा लगा है,

स्वतंत्रता की राह में संघर्ष करते रहना,

हिन्दी तुम आयुष्मती रहना।

आम जन का प्यार और खास की विशेषता लिए 

सदियों के अतीत से

आधुनिक भविष्‍य के

दिल में बसी रहना,

हिन्दी तुम आयुष्‍मती रहना।

लोग कहेंगे कि तुम नई हो, अल्हड़ हो

पर तुम अपनी माँ की विराटता का स्मरण रखना,

संपूर्ण विश्व में अपनी पताका लहराना,

हिन्दी तुम आयुष्मती रहना।

जनभाषा, राजभाषा और राष्ट्र भाषा बन,

भारत माँ के ललाट पर चमकना

अखण्ड भारत की शान बन 

हिन्दी तुम आयुष्‍मती रहना।

रचना मिश्र

१४ सितम्बर २०२२