Tuesday 31 May 2022

शुक्र तारे को मस्तक पर रखकर उषा आ रही है- दीपदान एकांकी

 शुक्र तारे को मस्तक पर रखकर उषा आ रही है

यह वाक्य दीपदान एकांकी में प्रयोग किया गया है। इसका आशय


जब पन्ना जैसी वीर राजपूतानी अपने मस्तक पर दीपदान का दीप रखकर जाएगी तो ऐसा लगेगा मानो शुक्र ग्रह जो सबसे अधिक चमकदार ग्रह है उसे प्रातः की लालिमा अर्थात उषा अपने माथे पर सजा के आगे बढ़ रही हो। मतलब पूरा वातावरण दैदीप्यमान हो जाएगा…

मतलब कोई बहुत अच्छा और नेक व्यक्ति हो और उसने और अधिक अच्छा काम किया हो तो उसकी गरिमा बढ़ जाती है ठीक उसी प्रकार पन्ना यदि दीपदान करेगी तो सोना के अनुसार ऐसा लगेगा मानो शुक्र तारे को रखकर उषा आ रही हो